Wednesday, August 4, 2010

To U ......

प्राणप्रिये,
तेरे बारे में लिखने को मैं, जब plane पेपर  उठाता हूँ |
खुदा कसम लिख नहीं पाता , बड़ा centi हो जाता हूँ|
रूम में बैठा रहता हूँ हर वक़्त, कोई मखाऊ  कोई पीसमारु कहता है|
उन्हें क्या पता कोई तेरे लिए, २४ घंटे online रहता है|
क्लास में बैठकर मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ|
मुझे मग्गू न समझना, मैं तुझसे प्यार करता हूँ|
तमाम societies join करने का tempo, inspiration मैंने तुझी से पाया है|
अब कैसे कहूं की जनता कहती  हैं, तुने मुझे छग्गी बनाया है|
लाख funda देते है पर, लव का funda किसी सीनीअर के पास नहीं|
कितना थक गया हूँ fight मारते-मारते, तुझको थोडा सा भी एहसास नहीं|
क्या करूँ अब तो DC भी रास नहीं आता|
Movies की बात छोड़ दो, कुछ भी मन को नहीं भाता|
फ्रुस्त्त हो गया हूँ बेकार हो गया हूँ,
Illu की तरह खोया-२ सा, त्यौहार हो गया हूँ|
बैठा रहता हूँ loaded सा क्लास में,
Prof.  की  नजर में समझदार हो गया हूँ|
एक request है लव के huha ब्रेड्थ में, मेरा फक्का मत लगाना|
kgp के इस ISHTUD पे बस इतना रहम खाना|

2 comments:

  1. machoooooooooo bhai.gud work,keep it up!!!!!!!!!!

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  2. should i name that prof. of that huha breadth.....

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